वसंत ऋतुचर्या मार्च -अप्रैल कैसे रखे अपना खानपान आयुर्वेद के अनुसार ??(Vasant Rutucharya according to Ayurveda)

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आयुर्वेद के अनुसार हर एक ऋतु के अनुसार आहार विहार, दिनचर्या बतायी गई है। 2-2 महीने से क्रमश: 6 ऋतु होते है शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत ये 6 ऋतु होते हैं। शिशिर, वसंत तथा ग्रीष्म नाम ऋतु से मिलकर होनेवाले काल को  आदान काल अथवा उत्तरायण कहा गया है। क्यो की इन दिनों में ये काल प्रतिदिन प्राणियो का बल लता रहता है। उत्तरायण काल में सूर्य के उत्तरमार्ग में चलने के करण सूर्य की किरणे अत्यंत तीक्ष्ण तथा उष्ण हो जाती है। इसके करण सूर्य पृथ्वी के सौम्य गुणों को नष्ट कर देता है यही कारण है की सराय दीनो प्राणियो का भी शारीरिक बल क्षीण हो जाता है। वसंत ऋतु में कफ दोष जिसका संचय शिशिर ऋतु में शरीर में हो चूका है वह पिघलने लगता है जिसके कारण प्रतिश्याय (सरदी) खासी, अलस्य आदि को उत्पन्न कर देता है।कफ का प्रकोप वसंत ऋतु में होता है।

आहार क्या ले:

आयुर्वेद में शद्रस आहार का सेवन बताया गया है लेकिन वसंत ऋतु में तीन मुख्य रसो का सेवन करना जरूरी है वो तीन रास है तीखा, कड़वा , कसैला रस आहार में अवश्य लेने के लिए कहा गया है। तीखा भोजन जिनको पसंद है वो आराम से वसंत ऋतु में मीठा भोजन का आस्वाद ले सकते हैं। भोजन में आप हींग, अजवाइन, लौंग इनको उपयोग कर सकते हैं, मसालेदार भोजन करना भी अच्छा है जिससे कफ कम हो सके। कड़वा रस का सेवन भी जरूर से करें, कड़वा में करेले आप ले सकते हैं। कसैला रस का सेवन भी लाभदायक होता है कसैला रस हरितकी में पाया जाता है।

आहार: वसंत ऋतु में पथ्याकर आहार में गेहू की रोटी, ज्वार बाजरा, रागी रोटी जरूर ले। अरहर की दाल ले सकते हैं। सब्जियों में लौकी , परवर ये ले सकते हैं।भुना हुआ चना, भुना हुआ पापड़, मटर ये सब भी खाना अच्छा होता है।

क्या न खाए अथवा कम खाए :

मैदे से बने चिजे, तला हुआ भोजन न खाए। उड़द की दाल न खाए अथवा बहुत कम खाए।कफ को बधानेवाली चिजो से दूर रहे। मीठी खट्टी नमकीन चीज न खाए खाना ही है तो बहुत कम मात्रा में खाए।

पेय पदार्थ :

1. शहद का पानी – शहद का पानी कफ को कम करने के लिए मददगार है। लेकिन इसको गरम पानी में न ले सर्व प्रथम पानी को गरम करके ठंडा कर ले उससे शहद मिला कर उसका सेवन करें।

2.सोंठ का पानी – सोंठ का पानी पंचतंत्र को सुधारने के लिए अच्छा होता है। सोंठ को पानी मिलाकार इसका सेवन करे।

3.मसालेदार छाछ – छाछ कफ को कम करता है, भोजन का ठीक से पचन करता है। छाछ में जीरा, हींग, अजवाइन, काला नमक धनिया मिलाकार इसका मसालेदार छाछ बनाकर इसका सेवन करे।

विहार/व्यायाम:

वसंत ऋतु में अप्रैल मई के माहिन में व्यायाम अवश्य करें जिससे आपको तंदुरुस्त और हलकापन महसूस होगा। अलास्य नहीं आएगा, एक्सरसाइज करने से आपके मसल्स को मजबूती मिलेगी। दिनभर उर्जावान महसस होगा।

उबटन(उद्वर्तन) : 

वसंत ऋतु में स्नान से पहले उबटन अवश्य करना चाहिए उबटन के लिए जौ का अथवा चने का आटा लेकर उसमे तेल या हल्दी मिला लें इसको हल्के हाथों से शरीर पर स्क्रब कर ले। उबटन से अनेक फ़ायदे मिलते हैं उबटन करने से कफ कम होगा, मोटापा (चारबी) खत्म हो जाएगी. शरीर सुंदर और मजबूत होगा। त्वचा सुंदर होगी।

आयुर्वेद में हर एक ऋतुचर्या का अलग अलग आहार विहार, दिनचार्य बतायी गई है। अष्टांग ह्रदय के तीसरे अध्याय में ऋतुचार्य का वर्णन आचार्य वाग्भट ने दिया है। उम्मेद है ये जानकारी आपको मददगार होगी।

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